महाराजा शूर सैनी 

सैनी शब्द की उत्पत्ति “महाराजा शूर सैनी” के नाम से हुई है. वह एक पराक्रमी शूर वीर योद्धा थे. महाराजा शूर सैनी " सम्राट शूरसेन " के पुत्र थे । कभी वर्तमान के मथुरा नगर पर सम्राट शूरसेन का शासन हुआ करता था. मथुरा प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था. शूर शब्द का शाब्दिक अर्थ वीर बहादुर या योद्धा होता है । 

महाराजा शूर सैनी का जन्म महाभारत काल में हुआ था. वह एक शूरवीर क्षत्रिय थे. प्राचीन ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार मथुरा " शूरसेन महाजनपद " की राजधानी थी. सम्राट शूरसैन वासुदेव के पिता और भगवान कृष्ण के दादा थे. इस पौराणिक मान्यता के अनुसार यही वह वंश है जिसमें श्री कृष्ण का जन्म हुआ था और महाराजा शूर सैनी के वंशज ही सैनी कहलाए । 

महाराजा शूर सैनी के इतिहास यह साबित करता है कि उनका संबंध चंद्रवंशीयों और सूर्यवंशीयों से था और सैनी जाति की उपस्थिति हर वंश में देखने के लिए मिलती है, जिसके कारण आज भी सैनी समाज के लोगों में दो राय देखने को मिलती हैं , सैनी समाज के कई लोग महाराजा शूर सैनी को चंद्रवंशी मानते हैं तो कई लोग उन्हें सूर्यवंशी मानते हैं , जबकि सैनी जाति के कई लोग यह मानते हैं की महाराजा शूर सैनी जी का राज्य काल सूर्यवंश और चंद्रवंश के माध्यम काल में रहा है इसलिए सैनी जाति में एक बड़ा वर्ग अपने आपको उनसे जोड़कर केवल " शूरसैनी " मानता है ‌। 

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